बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवादसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
उत्तर -
सूरत की फूट ( 1907 ई.)
1907 ई. में काँग्रेस का अधिवेशन सूरत में हुआ। सूरत अधिवेशन में उग्रवादी लोकमान्य तिलक को सभापति पद पर आसीन करना चाहते थे लेकिन उदारवादियों ने अपने बहुमत से डॉ. रास बिहारी घोस को सभापति निर्वाचित किया। परिणामस्वरूप, अध्यक्ष के भाषण के पहले ही हंगामा हो गया और अधिवेशन स्थगित करना पड़ा। श्रीमती ऐनी बेसेंट ने इस घटना को कॉंग्रेस के इतिहास में शोकपूर्ण घटना कहा।
सूरत की फूट के कारण - यह घटना विभिन्न कारणों के संचय होने का परिणाम थी। वास्तव में 1885 से 1907 तक भारतीय राजनीति में बहुत से परिवर्तन आ गये थे। शासन की रीति-नीति में भी परिवर्तन आये थे। विरोध और आन्दोलन के तौर-तरीकों पर कॉंग्रेस में कई मतभेद थे जिनके कारण यह घटना घटी। इस परिप्रेक्ष्य में सूरत की फूट के निम्नलिखित कारण थे -
1. राजनीतिक कारण - 1892 से 1906 ई. तक ब्रिटेन में अनुदारवादी दल का शासन था। इस दल की प्रतिक्रियावादी नीति के कारण 1892 ई. के अधिनियम में किये गये सुधार अपर्याप्त और निराशाजनक थे। कॉंग्रेस की किसी भी माँग को इसमें शामिल नहीं किया गया था। नरमपंथी नेताओं के साथ-साथ बहुत से उदारवादी नेता भी सरकार के कार्यों से दुखी थे। लार्ड एल्गिन की सरकार ने कठोर दमनात्मक नीति का प्रयोग कर भारत के राजनैतिक वातावरण को और अधिक उत्तेजित कर दिया। 1897 में जब तिलक को गिरफ्तार कर 18 माह की कठोर कारावास की सजा दी गयी तो सारे देश में क्रोध और प्रतिशोध की भावना उमड़ पड़ी। कर्जन के काल में राजनीति के तरीकों पर बहस और तीव्र जब कर्जन काँग्रेस के विरोध पर कार्य कर रहा था। नरमपंथी राजनेता अभी भी अपने आदर्शों पर टिके थे जबकि कर्जन ने इस राजभक्ति का प्रतिकार बंगाल के विभाजन के माध्यम से दिया। बंग-भंग के बाद नरमपंथी और चरमपंथी के बीच दूरियाँ और बढ़ीं।
2. आर्थिक कारण - तत्कालीन अंग्रेजी सरकार की अर्थनीति भारत विरोधी थी। 19वीं सदी के अन्तिम चरण में सर्वत्र आर्थिक असन्तोष का साम्राज्य छाया हुआ था। अकाल, महामारी और भूचालों के कारण जनता की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही थी। अंग्रेजों का उद्देश्य भारतवासियों का हित साधन न होकर अंग्रेज व्यापारियों और उद्योगपतियों का हित साधन था। बाहर से आने वाली कपास की वस्तुओं में आयात कर घटा दिया गया था तथा भारतीय वस्तुओं पर उत्पादन कर बढ़ा दिया गया था। इससे भारत की दरिद्रता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। उन दिनों उग्रवादी विचारकों ने यह प्रचार किया कि विदेशी शासन ही भारत की दरिद्रता का मुख्य कारण है। इससे उग्र राष्ट्रीयता की भावना सुदृढ़ हो गई।
3. धार्मिक तथा सामाजिक कारण - ब्रिटिश सरकार की दमनात्मक तथा घृणित नीति से 19वीं सदी के अन्तिम चरण में शिक्षित भारतीयों में पाश्चात्य शिक्षा, सभ्यता एवं संस्कृति के विरुद्ध एक भयंकर प्रतिक्रिया हुई। काँग्रेस के उदारवादी नेता पाश्चात्य संस्कृति के हिमायती थे। उधर विदेशों में भी भारतीयों के साथ अभद्र व्यवहार प्रारम्भ हो गया था। इससे भारतीय अंग्रेजों के व्यवहार से दुखी होकर उग्रवादी नेताओं के सम्पर्क मं आने लगे और उन्हें इन नेताओं की राजनीति से घृणा हुई, इसका चरम परिणाम 1907 की फूट थी।
4. लार्ड कर्जन का प्रतिगामी शासन - लार्ड कर्जन जिस समय भारत का वायसराय नियुक्त किया गया उस समय देश का राजनीतिक वातावरण अशान्त था। वह स्वयं कट्टर साम्राज्यवादी था और भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन को समूल उखाड़ फेंकना चाहता था, किन्तु उसमें राजनीतिक दूरदर्शिता का अभाव था। उसने कलकत्ता कारपोरेशन एक्ट, भारतीय विश्वविद्यालय एक्ट तथा सरकारी गोपानीयता एक्ट जैसे कुटिल कानून जारी किए। उसने साम्राज्यवादी नीति के तहत भारतीय सेना को चीन, अफ्रीका आदि देशों में भेजकर भारतीय जनता को दुःखी बना दिया। 1905 का बंग-भंग और प्रतिक्रिया में चलाया गया स्वदेशी आन्दोलन राजनीति के नये तौर-तरीकों पर जोर दे रहा था। यह स्पष्ट हो गया था कि अब नरम व गरम पंथी राजनेताओं में अधिक समय तक एकता न रह सकेगी।
सूरत की फूट की परिस्थितियाँ - 1907 की इस घटना से पूर्व भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के राजनेताओं में नरमपंथ और चरमपंथ का स्पष्ट विभाजन हो गया था। इस स्थिति में नरमपंथी नेताओं को दूसरे वर्ग के नेता भिक्षावृत्ति की राजनीति करने वाले कहते थे। मूलतः चरमपंथियों से उनका अन्तर।
बहिष्कार, स्वदेशी और राष्ट्रीय शिक्षा के बिन्दु पर था। 1905 में बंग-भंग के बाद 1906 में हुए अधिवेशन में नरमपंथियों ने स्वदेशी को कॉंग्रेस के कार्यक्रम में शामिल कर लिया, किन्तु अन्य दो माँगों को नहीं माना। चरमपंथी इस अधिवेशन में इन दो माँगों सहित बाल गंगाधर तिलक को अध्यक्ष पद पर बैठाना चाहते थे। उनकी जब माँगें नहीं मानी गईं तो तिलक ने लाला लाजपतराय की अध्यक्षता पर सहमति प्रकट कर दी। जब यह भी नहीं हुआ तो अधिवेशन में हंगामे की स्थिति उत्पन्न हुई। ब्रिटिश पुलिस ने हस्तक्षेप कर अधिवेशन स्थल में पुलिस कार्यवाही की और यह अधिवेशन रद्द कर दिया गया। लाल-बाल-पाल को काँग्रेस से निष्कासित कर दिया गया और काँग्रेस 1914 तक मृत्प्राय रही क्योंकि चरमपंथी युवा नेताओं को अंग्रेजों ने या तो जेल में डाल दिया था या वे जनता और राजनीति की मुख्य धारा में उपेक्षित हो गये थे।
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- प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
- प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
- प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
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- प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
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- प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
- प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
- प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
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- प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
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